कुछ और न कही जाये,कुछ और न सुनी जाये
जो बात है जहा,बस अब वही तक रखी जाये
न हो अदावत किसी से,न दोस्ती की उम्मीद
कहा जाती है फ़िर जिंदगी,ये बस देखी जाये
Wednesday, September 30, 2009
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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