वो तबस्सुम वो हया,इन अदाओ ने मारा मुझको
छुपके से उनको देखा,इन गुनाहों ने मारा मुझको
लहराते आँचल ने छेड़ ही दिया,साज-ऐ-दिल मेरा
करके शरारत जो बह गई,उन हवाओ ने मारा मुझको
देख के ख़ुद को आईने में,वो सज़ते रहे सवरते रहे
दिल थामके जो भरी शीशे ने,उन आहो ने मारा मुझको
जुल्फ खुली तो रुक गई,गर्दिश ज़मीं आसमानों की
खाके रश्क जो चली गई,उन घटाओ ने मारा मुझको
शरमाके के करते है वो परदा,और देखते है चुपके से भी
सम्हाल दिल ऐ 'ठाकुर',इन शोख वफाओ ने मारा मुझको
शर्म भी है
छुपके से उनको देखा,इन गुनाहों ने मारा मुझको
लहराते आँचल ने छेड़ ही दिया,साज-ऐ-दिल मेरा
करके शरारत जो बह गई,उन हवाओ ने मारा मुझको
देख के ख़ुद को आईने में,वो सज़ते रहे सवरते रहे
दिल थामके जो भरी शीशे ने,उन आहो ने मारा मुझको
जुल्फ खुली तो रुक गई,गर्दिश ज़मीं आसमानों की
खाके रश्क जो चली गई,उन घटाओ ने मारा मुझको
शरमाके के करते है वो परदा,और देखते है चुपके से भी
सम्हाल दिल ऐ 'ठाकुर',इन शोख वफाओ ने मारा मुझको
शर्म भी है
3 comments:
Thakur sab kalam bahut hi zabardast hai. Jawab me mere pas kuch alfas hi nahi.
bahut hi badhiya thakur sahab..
wah!ustad
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