कुछ और न कही जाये,कुछ और न सुनी जाये
जो बात है जहा,बस अब वही तक रखी जाये
न हो अदावत किसी से,न दोस्ती की उम्मीद
कहा जाती है फ़िर जिंदगी,ये बस देखी जाये
Wednesday, September 30, 2009
Friday, September 25, 2009
ऐ रूठे हुवे दोस्त
ये शक ये शुबा ये बदगुमानी किस लिए
तेरे चेहरे पे ऐ यार ये परेशानी किस लिए
कर दिये है जो तुने दर्द सारे मेरे नाम पर
फ़िर पसीने से तर ये पेशानी किस लिए
और भी कुछ हो सकती है बाते दिल्लगी की
जुबा पे तेरे शिकवो की कहानी किस लिए
जाते है जो रूठ के,लौट आना होता ही है उनको
है इल्म इस बात का,तो ये नादानी किस लिए
तुम को मनाके थक चुके है 'ठाकुर'अब इतना
तेरे बगैर समझेंगे के ये जिंदगानी किस लिए
तेरे चेहरे पे ऐ यार ये परेशानी किस लिए
कर दिये है जो तुने दर्द सारे मेरे नाम पर
फ़िर पसीने से तर ये पेशानी किस लिए
और भी कुछ हो सकती है बाते दिल्लगी की
जुबा पे तेरे शिकवो की कहानी किस लिए
जाते है जो रूठ के,लौट आना होता ही है उनको
है इल्म इस बात का,तो ये नादानी किस लिए
तुम को मनाके थक चुके है 'ठाकुर'अब इतना
तेरे बगैर समझेंगे के ये जिंदगानी किस लिए
Saturday, September 19, 2009
...मारा मुझको
वो तबस्सुम वो हया,इन अदाओ ने मारा मुझको
छुपके से उनको देखा,इन गुनाहों ने मारा मुझको
लहराते आँचल ने छेड़ ही दिया,साज-ऐ-दिल मेरा
करके शरारत जो बह गई,उन हवाओ ने मारा मुझको
देख के ख़ुद को आईने में,वो सज़ते रहे सवरते रहे
दिल थामके जो भरी शीशे ने,उन आहो ने मारा मुझको
जुल्फ खुली तो रुक गई,गर्दिश ज़मीं आसमानों की
खाके रश्क जो चली गई,उन घटाओ ने मारा मुझको
शरमाके के करते है वो परदा,और देखते है चुपके से भी
सम्हाल दिल ऐ 'ठाकुर',इन शोख वफाओ ने मारा मुझको
शर्म भी है
छुपके से उनको देखा,इन गुनाहों ने मारा मुझको
लहराते आँचल ने छेड़ ही दिया,साज-ऐ-दिल मेरा
करके शरारत जो बह गई,उन हवाओ ने मारा मुझको
देख के ख़ुद को आईने में,वो सज़ते रहे सवरते रहे
दिल थामके जो भरी शीशे ने,उन आहो ने मारा मुझको
जुल्फ खुली तो रुक गई,गर्दिश ज़मीं आसमानों की
खाके रश्क जो चली गई,उन घटाओ ने मारा मुझको
शरमाके के करते है वो परदा,और देखते है चुपके से भी
सम्हाल दिल ऐ 'ठाकुर',इन शोख वफाओ ने मारा मुझको
शर्म भी है
Saturday, September 5, 2009
नजर नही आता
कम होता मुझे उनका इन्तेजार नजर नही आता
इस जिंदगी में कही मुझको करार नजर नही आता
खूब वाकिफ है ये जमाना मेरी तड़पती जिंदगानी से
उन्हें ही सिर्फ़ मेरा दिल-ऐ-बेकरार नजर नही आता
मर्ज कैसा ये लगा दिया खुदा इस खामोश जिंदगी को
मुझे अब मुझसे बढ़के कोई बीमार नजर नही आता
क्या मालूम कबूल हो पायेगी दुवा कभी इस दिल की
खुदा तेरी आँखों में रहम का आसार नजर नही आता
गम-ऐ-दिल को बनाके हमसफ़र कही चल दे ऐ 'ठाकुर'
राह-ऐ-जिंदगी में और कोई दिलदार नजर नही आता
इस जिंदगी में कही मुझको करार नजर नही आता
खूब वाकिफ है ये जमाना मेरी तड़पती जिंदगानी से
उन्हें ही सिर्फ़ मेरा दिल-ऐ-बेकरार नजर नही आता
मर्ज कैसा ये लगा दिया खुदा इस खामोश जिंदगी को
मुझे अब मुझसे बढ़के कोई बीमार नजर नही आता
क्या मालूम कबूल हो पायेगी दुवा कभी इस दिल की
खुदा तेरी आँखों में रहम का आसार नजर नही आता
गम-ऐ-दिल को बनाके हमसफ़र कही चल दे ऐ 'ठाकुर'
राह-ऐ-जिंदगी में और कोई दिलदार नजर नही आता
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