Tuesday, January 5, 2016

नज़र आ गयी आज फ़िर,वो तस्वीर उसकी
इक अरसा जो थी मैने,छुपा के रखी हुवी
आज फिर सीख लिया,ख्वाबो ने तड़पना 
आज फिर है दिल से,आह सी उठी हुवी
इस बार भी लेकिन,मना ही लेंगे खुद को
और बढ़ने न देंगे,आग जो है ये लगी हुवी
कैसी कश्मकश ए दिल,पायी है मैंने देखो
है तेज़ धड़कनो में भी,ज़िंदगी ये थमी हुवी 

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