मेरी नजर-ए-शौक से हाय शरमा गयी वों
न जाने अपने आँचल को यु लहरा गयीं वों
मै चश्म-दीद बना जो उसकी धड़कनो का
मानो हजारो कलियाँ फज़ा में बिखरा गयी वों
न जाने अपने आँचल को यु लहरा गयीं वों
मै चश्म-दीद बना जो उसकी धड़कनो का
मानो हजारो कलियाँ फज़ा में बिखरा गयी वों
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