इमकानात सफ़र के ही जो ना रहे
तो अब इंतजार-ए-हमसफ़र क्या करे
सु-ए-उफक-ए-उम्मीद भी देखे क्यों
डोर सासों की रही मुख़्तसर क्या करे
इमकानात-शक्यता
उफक-क्षितिज
मुख़्तसर-थोड़ी(Short)
Wednesday, July 14, 2010
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2 comments:
nice i like it
good one ,visit me at roop62.blogspot.com
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