याद उनके तबस्सुम आये,तो अश्क बहने लगे
तड़प के इस दिल के जर्रे कुछ और दर्द सहने लगे
भुलाने से भूल जाये ये फलसफा-ऐ-इश्क कहाँ?
नही सिवा उनके ये जिंदगी,दिल के तार कहने लगे
Wednesday, February 11, 2009
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This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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