वो भी देखते है तुम्हे और देखते है हम भी
ऐ चाँद ख़ुद बन जाना तुम आइना कभी
देख तो ले वो के पल पल तडपता है कोई
है आरजू के मेरे हाल से न रहे वो अजनबी
Friday, November 14, 2008
Wednesday, November 12, 2008
कोई नही अपना
बे-घर होते चले गए,दिल के आशियाने को सम्हालते सम्हालते
हर आब-ओ-हवा रूठ गई हमसे,इस मौसम के बदलते बदलते
नही और कोई नजारा,अपनी उजड़ी हसरतो के मंजर के सिवा
साये भी अपने हो चुके है पराये,दो कदम मेरे साथ चलते चलते
हर आब-ओ-हवा रूठ गई हमसे,इस मौसम के बदलते बदलते
नही और कोई नजारा,अपनी उजड़ी हसरतो के मंजर के सिवा
साये भी अपने हो चुके है पराये,दो कदम मेरे साथ चलते चलते
दिलबर की आस
क्या है जरुरत तस्वीर की,जो छुपालो किसीको निगाहों में
आँखे मूंद के देखो ख्वाब, और जो भरलो किसीको बाहों मे
बनाके मंजिल किसीको,चलोगे जब राह-ऐ-मोहब्बत पर
मिल ही जाएगा वो दिलबर,चलते चलते हसीन सी राहों मे
आँखे मूंद के देखो ख्वाब, और जो भरलो किसीको बाहों मे
बनाके मंजिल किसीको,चलोगे जब राह-ऐ-मोहब्बत पर
मिल ही जाएगा वो दिलबर,चलते चलते हसीन सी राहों मे
कामयाबी की दास्ताँ
फूलो भरी हो डगर तेरी,या काटो भरा रास्ता
कितने तुफानो से पड़े यहाँ,चाहे तेरा वास्ता
है जो तेरी निगाहों में अक्स किसी मंजिल का
हर बढ़ता कदम लिखेगा ख़ुद अपनी दास्ताँ
कितने तुफानो से पड़े यहाँ,चाहे तेरा वास्ता
है जो तेरी निगाहों में अक्स किसी मंजिल का
हर बढ़ता कदम लिखेगा ख़ुद अपनी दास्ताँ
Tuesday, November 11, 2008
टूटे महल
बांधे थे हवाओ में महल,गिराए भी हमीने
आसमाँ की चाहत में छुटी,हमारी जमीने
आप ही दे ख़ुद को धोखा,फ़िर और क्या?
डूब ही जाने है ऐसे में जिन्दगी के सफीने
आसमाँ की चाहत में छुटी,हमारी जमीने
आप ही दे ख़ुद को धोखा,फ़िर और क्या?
डूब ही जाने है ऐसे में जिन्दगी के सफीने
---आजकल
एक तेरा ही नाम लेके हम जीते है आजकल
बस तेरे खयालो के जाम हम पीते है आजकल
तस्सव्वुर में तेरे बिताये हुवे लम्हों की कसम
ख़ुद से भी जियादा तुम्हे करीब पाते है आजकल
बस तेरे खयालो के जाम हम पीते है आजकल
तस्सव्वुर में तेरे बिताये हुवे लम्हों की कसम
ख़ुद से भी जियादा तुम्हे करीब पाते है आजकल
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