कैसे न कहे तुमको खुदा,सजदे में तेरे सर झुका जाता है
कैसे न करे तुमसे वफ़ा,कदमो में तेरे दिल रुका जाता है
कुछ तो बात है तुझमे यहाँ,जो किसी और में नही
कैसे न छाए दिल पे नशा,ये बस तुम्हारा हुवा जाता है
Thursday, May 29, 2008
Sunday, May 25, 2008
दिल की सदा
दिखलायीं मोहब्बत ने हमे आख़िर तड़प की इन्तहाँ
लिखवाई आरजू-ए-यार ने हमसे एक दर्द की दास्ताँ
मालिक,क्या ये नही काफी,उनके वाकिफ हो जाने को
के,हर कतरा मेरे खून-ए-जिगर का दे रहा है उनको सदा
लिखवाई आरजू-ए-यार ने हमसे एक दर्द की दास्ताँ
मालिक,क्या ये नही काफी,उनके वाकिफ हो जाने को
के,हर कतरा मेरे खून-ए-जिगर का दे रहा है उनको सदा
सदा-आवाज,दास्ताँ-कहानी
वाकिफ-पहचाना हुवा
सितारा
क्यो भाता है कोई एक,हजारो में
क्यो नजर आता है वोही,नजरो में
ख्वाहिशे आसमाँ छूने लगती है ऐसे में
क्यो बन के खुदा वोही,बैठ जाता है सितारों में
क्यो नजर आता है वोही,नजरो में
ख्वाहिशे आसमाँ छूने लगती है ऐसे में
क्यो बन के खुदा वोही,बैठ जाता है सितारों में
Tuesday, May 20, 2008
खुदा की मर्जी
जाने क्या तेरे दिल मे है खुदा
आरजू उनकी मैं कर बैठा यहाँ
यू तो कुछ होता नही तेरी मर्जी के सिवा
उन तक तो पोह्चां दे मेरे धडकनों की सदा
कारवाँ दिल का
जाने कौनसी मंजिल पायेगा,ये कारवाँ दिल का
क्या मिलेगा राह-ए-आरजू मे,मेहमाँ दिल का
ऐसा मिले हमसफ़र, तो कही न ठहरे हम
ख़ुद हो के बेखुद साथ चलेगा आसमाँ दिल का
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