कुछ इन्किशाफ़ ये भी हुवा,जो यु नजर मिलायी उसने
एक आरजू उधर भी पायी,एक आग सी लगायी उसने
अल्फाज़ न मिल सके उस झिझक को तो क्या हुवा
आ के जहान ए तसव्वुर में हर एक दुरी मिटाई उसने
इन्किशाफ़--राज़ खुल जाना
एक आरजू उधर भी पायी,एक आग सी लगायी उसने
अल्फाज़ न मिल सके उस झिझक को तो क्या हुवा
आ के जहान ए तसव्वुर में हर एक दुरी मिटाई उसने
इन्किशाफ़--राज़ खुल जाना