वो जख्म भरेंगे कैसे,अगर बार बार छेड़े जाये
दिल क्यों न दुखेंगे,अगर बार बार तोड़े जाये
मोहब्बत करनेवाले तुमसे,यही चाहेंगे फिर भी
वो ठहरे हुवे रिश्ते,फिर से एक बार जोड़े जाये
This is my own shayari.Thanks 2 Rafi sahab,he directly or indirectly taught me to do a shayari.i hope you will like it.
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