Friday, August 13, 2010

मुस्कुराये कब तक

यु झूठी खुशियों के सहारे मुस्कुराये कब तक
यु अश्को के सैलाब पलकों से टकराए कब तक
रख दू हाथ जो सीने पे तो दिल ये पूछता है
यु काटों पे ये जिंदगी आखिर बिछाए कब तक  

Thursday, August 12, 2010

शब-ए-शाद

रातभर छुपाते है वो मुझको,जुल्फ ओ दामन में
मैं भी खुद को भूल रहा,महकी हुवी चिलमन में
ऐ वक़्त ठहर जा या बढ़ा कदम आहिस्ता अपने 
के पहली बार आयी है ये शब-ए-शाद मेरे जीवन में

शब-ए-शाद---खुशियों की रात

Tuesday, August 10, 2010

...आ जाओ

मोहब्बत नहीं तो इंसानियत की खातिर आ जाओ
अपने इस दीवाने की राहत की खातिर आ जाओ
किस दर पे ना सजदे किये है मैंने तेरी आरजू में
दिल ने मांगी हुवी मन्नत की खातिर आ जाओ