Saturday, August 29, 2009

बेमिसाल हुस्न

फूल तुझसा न होगा कोई,जन्नत के गुलजारो में भी
उधर झलकती होगी परेशानी,खुदा के इशारो में भी

सितारे शक करते है,ये चाँद फलक पे कौन सा है
कोई और चाँद नजर आता है,जमी के नजारों में भी

कुछ पल रुक के सीखी है,शोखी तेरी अंगडाईयो से
जाके तब आई है रवानी,नदी की उदास धारों में भी

पयाम पंहुचा रहा है भवरा,इस कली से उस कली
बस चर्चे है आजकल,तेरे नाम के बहारो में भी

क्यों न समझे खुशनसीब,आख़िर ख़ुद को 'ठाकुर'
नाम अपना आया है अब तो,इश्क के मारो में भी

Thursday, August 27, 2009

मेरे नाम का नही

गुलिस्ता है ये जहाँ,मगर कोई गुल मेरे नाम का नही
मुझसे है दुनिया को वास्ता,पर कोई मेरे काम का नही

लम्हा लम्हा मिलके बनती है ज़ंजीर-ऐ-वक्त यहाँ
एक लम्हा भी अपनी ज़िंदगी में आराम का नही

चढ़ते आफताब को सलाम करना,जाने ये ज़माना

मगर मैं जानू इतना,के कोई ढलती शाम का नही

नजर आया दूर से ही,कोई चराग-ऐ-नूर अफ़्शा वहाँ
पोहचे नज़दीक तो जाना,ये नूर मेरे मकाम का नही

मैखाने होकर आए 'ठाकुर' फ़िर भी गमगीन ही रहे
क्या जाने,अब वो पहलेसा असर,किसी जाम का नही

नूर अफ़्शा -प्रकाश फैलानेवाला


Sunday, August 16, 2009

अनमिट मोहब्बत

ऐ शम्मा!तुझसे लिपट के मरे तो भी क्या
आख़िर तेरे कदमो में ही मुझे गिर जाना है
जीते जी ना सही,तो मरने के बाद ही सही
सामने तेरे सर झुकाने का ये एक बहाना है