Wednesday, July 29, 2009

बेचैन जिंदगी

गमो का साथ भी हमने निभा के देख लिया
अपनी हसरतो को कुछ बुझा के देख लिया
सुकू कही भी हासिल नही होता हमे यहाँ पर
ज़िंदगी को हर मुमकिन आज़मा के देख लिया

Monday, July 27, 2009

खोया मयखाना

उनके ख़याल में खोती थी सुबह शाम अपनी
कोई भी याद न बची लेकिन आज भुलाने को
बेवफाई के तुफाँ ने उडा दिया मयखाना मेरा
एक बूंद भी अब मिलती नही पिने पिलाने को

Sunday, July 26, 2009

तेरा सहारा भी नही....

शीशे ने मुझको अक्स मेरे दिखाए झूठे
काश तेरी निगाह में देख लेता ख़ुद को
तुम भी तो लेकिन आखे चुराए बैठे हो
पाउ कैसे अब मेरे खोये हुवे वजूद को