आओ करीब इतने,के तेरी जुल्फ बिखर जाये मेरी शानो पर
आओ करीब इतने,के जोर धडकनों का हो दिल के खानों पर
के मेरी साँसों में घुल जाने दो आज अपनी साँसों का शमीम
आओ करीब इतने,के बर्क लहरा जाये इश्क के आसमानों पर
शानो पर -कंधे पर
Sunday, December 7, 2008
Thursday, December 4, 2008
तकदीर-ऐ-इश्क
जो न कही अब तक,वो बात उन्हें आज बताऊंगा मैं
कदमो में उनके रख के दिल,किस्मत आजमाऊंगा मैं
गर होंगे कुबूल उनको मेरी बेताब धडकनों के नजराने
तकदीर-ऐ-रोशन पे मेरी फ़िर जी भर के इतराउंगा मैं
कदमो में उनके रख के दिल,किस्मत आजमाऊंगा मैं
गर होंगे कुबूल उनको मेरी बेताब धडकनों के नजराने
तकदीर-ऐ-रोशन पे मेरी फ़िर जी भर के इतराउंगा मैं
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