Tuesday, January 22, 2008

---किये जा

हर मंजिल तक सफर मुकम्मल किये जा
पुरजोर कोशीशे तू मुसलसल किये जा
कारवा मे तेरे फिर कोई हो न हो
हर बढ़ते कदम पे दिल तसल्ल किये जा

Sunday, January 20, 2008

सियासत

कभी हमे चाहनेवाले,आज हमसे अदावत करते हो
कोई अहेतराम नही,हर बात की शिक़ायत करते हो
क्या थोडा भी इल्म है तुम्हे अपने जुल्मो का

हमसे चाहते हो दुरी,अच्छी सियासत करते हो

तकदीर

हर शाम बीती शब-ए-वस्ल की चाह मे
हर सुबह आयी मायूसी की आह मे
हकीकत हम-जमी न बन सकी कभी ख्वाब की
यू ही जिंदगी गुजरी तकदीर-ए-सियाह मे

शब-ए-वस्ल---मिलन की रात
तकदीर-ए-सियाह---काली तकदीर