मै रहना चाहता हु जमी पे,मुझे आसमा तक न ले जाओ
मै तो हु बे-घर ही अच्छा,मुझे आशिया तक न ले जाओ
ये कैसा हुजूम देख रहा हु मै इन अजनबी लोगो का
तनहा ही रहने दो मुझको,उस कारवा तक न ले जाओ
मै तो हु बे-घर ही अच्छा,मुझे आशिया तक न ले जाओ
ये कैसा हुजूम देख रहा हु मै इन अजनबी लोगो का
तनहा ही रहने दो मुझको,उस कारवा तक न ले जाओ